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नमस्कार friends ,
आज कल सब लोग अपनी job और business में काफी busy रहते हैं और अपनी health पर बिलकुल भी ध्यान नहीं देते और बीमारी का शिकार बनते है। आयुर्वेद के अनुसार बीमारी का मुख्य कारण भोजन से जुड़ा हुआ होता है।आयुर्वेद में आहार को काफी impotence दिया गया है जीवन के तीन उपस्थंभ यानी की subpillers में आहार का उल्लेख किया गया है।
आयुर्वेद में भोजन ग्रहण करने के नियम बताए है,आप क्या खाते हो ये important है साथ ही कैसे खाते हो ये भी important हैं।
चरक संहिता के विमान स्थान में पहले अध्याय के 24 में sloka में महर्षि चरक ने आहार विधि विधान यानी की dietary rules बताए है।जो कुच इस प्रकार है….
उष्णं, स्निग्धं, मात्रावत, जीर्ण, विर्याविरुद्घम्, इष्ट देशे, इष्टसर्वोपकरणं; न अति द्रुतं, न अति विलंबित्, अजल्पन्, अहसन्, तन मन भुन्ज्जित , आत्मानमभिसमीक्ष्य समय्क् ।।२४।।
इन दस नियमों का पालन करने से healthy व्यक्ति health maintain रहेती हैं और बीमार व्यक्ति की health improve होती है। इसीलिए खाना खाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इससे खाने का पूरा पोषण मिलेगा और हम बीमारियों से भी बचेंगे। सही समय पर और सही तरीके से किया गया भोजन healthy और फिट रखता है।चलिए फिर जानते है dietary rules के बारे में
Welcome friends on ayushtherapist.com
1st है उष्ण आहार
- यानी की गरम भोजन लेना चाहिए, गरम भोजन खाने में स्वादिष्ट होता है और हमारी जठराग्नि को बढ़ाता है जिससे food digestion easily होता है। ये कफ तथा वात को कम करता है और पित्त को बढ़ाता है जो digestion में helpful है। इसीलिए उष्ण आहार लेना जरूरी है।
2nd हैं स्निग्ध आहार
- स्निग्ध यानी की food में घी और oil होना चाहिए। स्निग्ध भोजन शरीर को nurishment provide करता है और जठराग्नि को भी increase करता है। सभी धातु जैसे की रस रक्त मांस मेद अस्थि मज्जा शुक्र को पोषण देता है जिससे हमारे body का बल बढ़ता है। अगर dry food का ही सेवन किया तो शरीर में वात बढ़ जायेगा जिसके कारण constipation और indigestion जैसी problems हो सकती है । इसीलिए हमारी diet में स्निग्ध आहार अवश्य होना चाहिए।
3rd है मात्रावत आहार
- मात्रावत आहार means proper quantity में आहार लेना चाहिए। महर्षि चरक ने बताया है की stomach को तीन पार्ट में divide कर लीजिए और एक पार्ट solid food 1 part liquid food और 1 पार्ट खाली रखना है ये उत्तम मात्रा है । अगर ज्यादा खा लिया तो पेट भारी होना, indigestion, constipation जैसी समस्या हो सकती है और कम खाने से शरीर में कमजोरी आ सकती है ।अगर सही मात्रा में भोजन ग्रहण किया तो वात पित्त kapha तीनो दोष maintain रहेंगे। Digestion process एकदम परफेक्ट होगी।
4th है जीर्णऽश्नीयात्
- मतलब की जब तक पहेले किया हुआ भोजन digest न होजाए तब तक दुबारा भोजन नहीं करना है क्योंकि पहेले लिया हुआ भोजन अभी भी पेट में है और आप फिरसे खायेंगे तो वात पित्त और कफ तीनो दोष imbalance हो जायेंगे , जठराग्नि कम हो जायेगी और पेट दर्द भी हो सकता है।लेकिन आज कल ज्यादातर लोगो का मानना है कि बार बार खाओ लेकिन कम खाओ ये बिलकुल सही नही है । इससे stomach को जरा भी आराम नही मिलता और indigestion होता है जिसके कारण constipation होता हैं। इसलिए पहेले किया हुआ भोजन पचने के बाद ही दूसरा भोजन लेना चाहिए।
5th है विर्य अविरुद्घम् आहार
- आयुर्वेद में भोजन की प्रकृति दी गई है शीत यानी cold और उष्ण यानी hot अब इन दोनो प्रकृति के food को एकसाथ नही खा सकते। अगर ठंडा और गरम nature का आहार एकसाथ ग्रहण करेंगे तो ये हमारी जठराग्नि को कम करेगा और दोष को भी बढ़ाएगा जिसके कारण पेट से रिलेटेड बीमारियां हो सकती है अगर digestion perfect नही होगा तो pimples , बालो का सफेद होना , बालो का जड़ना जैसी समस्या हो सकती है।
- 6th है इष्ट देशे, इष्टसर्वोपकरणं
- अर्थात हमे proper place पर भोजन करना चाहिए , जो एकदम clean हो , कोई noise न हो , धूल मिट्टी न हो, और मन को शांति मिले ऐसी जगह पर खाना चाहिए। Mind को favorable न हो ऐसे place पर खाने से मानसिक अशांति होती है और उस खाने से body को proper पोषण नहीं मिलता है।
7th है न अति द्रुतं
- means बहुत जल्दी नहीं खाना चाहिए और जल्दी खाने से भोजन में saliva ठीक से मिश्रित नही होता है जिसके कारण पाचन ठीक से नहीं हो पाता है और कई बार खाना oesophagus की जगह respiratory tract में चला जाता है जिससे बहुत दिक्कत होती है।
8th न अति विलंबित्
- बहुत धीरे भी नही खाना चाहिए। धीरे धीरे खाने से भोजन ठंडा पड़ जाता है जो पचने ने भारी हो जाता है। भोजन की मात्रा भी बढ़ जाती है एवं indigestion जैसी समस्या भी होती है।
9th है अजल्पन्, अहसन्, तन मन भुन्ज्जित
- यानी की खाना खाते समय बोलना और हंसना नही चाहिए । शरीर और mind को पूरी तरह से भोजन पे ही focus करना चाहिए अगर पूरा focus खाने पे होगा तो भोजन पचाने के लिए हो enzymes और hormones जरूरी है उनका secretion ठिक तरह से होगा जो फूड को easily digest करेगा।
And last is
आत्मानमभिसमीक्ष्य समय्क्
- हमारे शरीर को भोजन की जरूरत है या नही ? है तो कितनी मात्रा में खाना है ? कोनसा आहार हमारे लिए best है ? ये सब ध्यान में रखते हुए आहार ग्रहण करना चाहिए।लेकिन आजकल हरकोई T.V देखते देखते या मोबाइल फोन use करते हुए भोजन करता है। इस कारण भोजन पे concentration नही हो पाता है और over eating हो जाता है। सबको ये बात important नही लगेगी लेकिन पेट से जुड़ी हुई बीमारियों का main कारण तो यही है।
इन सभी नियमों का पालन करने से health को maintain किया जा सकता है। शरीर को पोषण मिलता है और immunity भी बढ़ती है। जिसके कारण पेट से संबंधित समस्या से छुटकारा मिलता है।
और कोई भी समस्या हो तो commemt जरूर करें
धन्यवाद।